Domain Name System Kya Hai :- आज हम DNS क्या है, DNS का इतिहास क्या है, DNS कितने प्रकार के होते है, DNS कैसे काम करता है? आदि के बारे में बात करेंगे –
आ गए सारे ब्लॉगर? DNS इसका नाम तो आपने सुना ही होगा अगर आज के समय में आप लोग इन्टरनेट पर हर वेबसाइट को अपने स्मार्ट फ़ोन, कंप्यूटर, लैपटॉप आदि में एक्सेस या चला पाते है तो इसमें Domain Name System का बहुत बड़ा रोल होता है अगर आप कंप्यूटर के स्टूडेंट्स है
तब आपको पता होगा कि कंप्यूटर इंसानों की भाषा को नहीं समझ पाता है कंप्यूटर नंबर की भाषा को समझते है अगर पहले की बात करू तो इन्टरनेट पर वेबसाइट को देखने के लिए IP Address का इस्तेमाल करा जाता था
जिससे लोग के लिए वेबसाइट को याद करना बहुत मुश्किल हो जाता था जिसके बाद DNS को बनाया गया
DNS का इतिहास क्या था? | History of DNS in Hindi
कंप्यूटर के वैज्ञानिक Paul Mockapetris ने वर्ष 1980 में DNS “Domain Name System” को बनाया इन्होने DNS को इसलिए बनाया था क्योकि लोगो को IP Address के द्वारा वेबसाइट को याद रखना मुश्किल हुआ करता था
इसीलिए Paul Mockapetris ने IP Address को इंसानों की भाषा में बदलने के लिए इस Domain Name System को बनाया आज से लगभग 50 साल पहले इन्टरनेट का इस्तेमाल बहुत कम होता था
इन्टरनेट पर वेबसाइट भी बहुत कम होती थी जैसे जैसे समय बीतता गया इन्टरनेट एक बहुत बड़ा नेटवर्क बनता गया इन्टरनेट में डोमेन नाम स्पेस ट्री को तीन प्रकारों में रखा गया जैसे –
- Generic Domain ( जेनेरिक डोमेन )
- Country Domain ( कंट्री डोमेन )
- Inverse Domain ( इनवर्स डोमेन )
Generic Domain ( जेनेरिक डोमेन )
“Generic Domain” वह डोमेन नाम होते है जिनके जरिये से वेबसाइट की सामग्री या केटेगरी का पता चलता है इन डोमेन नाम को याद करना बहुत आसान होता है इन डोमेन के नाम से ही वेबसाइट के काम का पता चल जाता है जैसे – nsarticle.com
. firm | firms (व्यापार |
.org | non profit organization ( गैर लाभकारी संगठन ) |
. gov | government institutions (सरकारी संस्था) |
.net | network support centres (नेटवर्क सपोर्ट सेंटर) |
.com | commercial organization ( वाणिज्यिक संगठन ) |
.edu | Educational institutions (शैक्षणिक संस्था) |
.inet | international organisations ( अंतर्राष्ट्रीय संगठन ) |
.info | information service provider ( सूचना सेवा प्रदाता ) |
Country Domain ( कंट्री डोमेन )
“Country Domain” देश के नाम को देखते है यह कंट्री बेस डोमेन होते है
. us | United States |
.in | India |
. pk | pakistan |
Inverse Domain ( इनवर्स डोमेन )
किसी भी नाम के पते को मैपिंग करने में इनवर्स डोमेन का प्रयोग किया जाता है
Domain Name System Kya Hai ? | What is DNS in Hindi
Domain Name System एक सिस्टम है जोकि इन्टरनेट पर यूजर के द्वारा डाले गए दोअमिन नाम को IP एड्रेस में बदल देता है जिससे कंप्यूटर उस IP एड्रेस से जुडी हुई वेबसाइट को ढूंडता है इसी तरह यह होस्ट के नेम को भी IP एड्रेस में बदलता है Domain Name Example – nsarticle.com IP Address Example – 198.15.45.18
DNS की फुल फॉर्म क्या है?
DNS की फुल फॉर्म “Domain Name System” होता है
Domain Name System कैसे काम करता है?
जैसे कि मैंने आपको ऊपर बताया है कि Domain Name System IP एड्रेस को इंसानों की भाषा में बदल देता है जैसे मान लेते है कि हमारी वेबसाइट का IP एड्रेस 198.15.45.18 है
हमारी वेबसाइट का डोमेन नाम nsarticle.com है इसमें Domain Name System के द्वारा हम आज अपने IP एड्रेस को न याद रख कर अपने डोमेन नाम को याद रखते है डोमेन नाम सिस्टम कैसे काम करता है Step By Step बात करते है तो –
- सबसे पहले जब भी हम किसी ब्राउज़र के एड्रेस बार में किसी डोमेन नाम को डालते है तब सबसे पहले उस डोमेन के IP एड्रेस का पता लगाया जाता है
- जिन वेबसाइट पर आप पहले भी विजिट कर चुके है अगर आप उन्ही का डोमेन नाम एड्रेस बार में डालते है तब आपके ब्राउज़र में उस वेबसाइट के Cache पहले से ही स्टोर होते है
- अगर वह डोमेन नाम आपके ब्राउज़र के Cache में मिल जाता है तब वह वेबसाइट ओपन हो जाती है
- अगर वह डोमेन नाम आपके ब्राउज़र के Cache में स्टोर नहीं है तब यह ऑपरेटिव सिस्टम जैसे – window और android को रिक्वेस्ट भेजता है
- जिसके बाद ऑपरेटिव सिस्टम इस रिक्वेस्ट को इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर को भेज देते है
- इतना होने के बाद इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर के रिकार्ड्स में IP एड्रेस द्वारा डोमेन नाम के Cache को ढूंढा जाता है
- अगर यहाँ फाइल्स मिल जाती है तब यह प्रोसेस यही रुक जाता है और यूजर को डाटा देखा दिया जाता है
- लेकिन अगर वेबसाइट का Cache यहाँ भी नहीं मिलता है तब रिक्वेस्ट को Root सर्वर पर भेज दिया जाता है
- जिसके बाद रूट सर्वर रिक्वेस्ट को आगे टॉप लेवल डोमेन जैसे – .com, .org, .edu, .gov, .in के सर्वर पर भेज देता है
- जिसके बाद डोमेन नाम के सर्वर के अनुसार रिक्वेस्ट को टॉप लेवल डोमेन पर भेजा जाता है यहाँ जैसे हमारी वेबसाइट का डोमेन नाम nsarticle.com है और हमारा टॉप लेवल डोमेन .Com है इसलिए हमारे डोमेन की रिक्वेस्ट को .com सर्वर पर भेजा जायेगा
- यहाँ से इनफार्मेशन मिलने के बाद अंत में authoritative name server से actual name server की इनफार्मेशन ली जाती है जिससे IP का पता चलता है
- डोमेन नाम का IP एड्रेस मिलने के बाद इसको क्लाइंट के कंप्यूटर पर भेजकर यूजर को वेबसाइट का डाटा दिखाया जाता है
- इसके बाद इस डोमेन नाम या IP एड्रेस के Cache को ब्राउज़र में स्टोर भी कर लिया जाता है जिससे दुबारा प्रोसेस दोरना नहीं पड़े
- इतना लम्बा प्रोसेस होने के बाद भी इस प्रोसेस में कुछ milliseconds का ही समय लगता है
Domain Name System कितने प्रकार के होते है?
Domain Name System Server मुख्यत 4 प्रकार के होते हैं जैसे – DNS Resolver – DNS Resolver इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर या ISP के द्वारा प्राप्त होता है
Root Name Server – रूट नाम सर्वर का इस्तेमाल पूरी दुनिया में किया जाता है इसका उपयोग Informational pages बनाने में किया जाता है इसको अलग अलग ऑर्गेनाइजेशन कंट्रोल करती है
TLD Name Server – TLD का पूरा नाम Top Level Domain होता है इसके सर्वर में सभी वेबसाइट को स्टोर किया जाता है
Automatic Name Server – आटोमेटिक नाम सर्वर में वेबसाइट के IP एड्रेस को स्टोर करते है
IP address और domain name में क्या अंतर है?
DNS में मैंने आपको बताया है कि डोमेन नाम सिस्टम में डोमेन नाम को याद रखना लोगो के लिए बहुत आसान होता है जैसे हमारी वेबसाइट का डोमेन नाम – nsarticle.com इसको यूजर के लिए याद रखना बहुत आसान है लेकिन IP एड्रेस को लोगो याद नहीं रख पाते थे क्योकि यह कुछ 198.15.42.15 इस तरह के होते थे
FAQ
डोमेन नेम सिस्टम क्या है हिंदी में?
“डोमेन नाम सिस्टम” एक नामकरण प्रणाली है जिसके द्वारा इन्टरनेट पर विभिन वेबसाइट का पता चलता है यह डोमेन नाम का IP एड्रेस पता लगाकर वेबसाइट को यूजर को दिखता है
डोमेन नेम सिस्टम का क्या महत्व है?
आज इन्टनेट पर करोडो वेबसाइट उपलब्ध है ऐसे में इन सभी वेबसाइट के नमो को याद रखने के लिए यह डोमेन नाम सिस्टम बहुत ज्यादा जरुरी होता है यह डोमेन नाम सिस्टम उस डोमेन नाम वाली वेबसाइट की सामग्री को जल्दी और कुशलता से लोड करता है अगर यह न होता तो हम विभिन वेबसाइट के लम्बे लम्बे IP एड्रेस को याद नहीं रख पाते
डोमेन नाम कितने प्रकार के होते हैं?
डोमेन नाम तीन प्रकार के होते हैं – Top Level Domain, Country Code Top Level Domain, Subdomain.
आपने क्या सिखा?
आज मैंने आपको Domain Name System Kya Hai , DNS का इतिहास क्या है, DNS कितने प्रकार के होते है, DNS कैसे काम करता है? आदि के बारे में आपको ज्यादा जानकारी दी है
मुझे उमीद है कि आप सभी को “Domain Name System” के बारे में सब कुछ समझ आ गया होगा फिर भी अगर आपका कुछ सवाल है तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में मुझसे पूछ सकते है
Credit By = itznitinsoni
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